जय जय शनिदेव भक्तन हितकारी |
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी || जय जय.... ||
श्याम अंक वक्र द्र्ष्ट चतुर्भुजा धारी |
नीलाम्बर धार नाथ गाज की असवारी || जय जय.... ||
क्रीट मुकुट शीश रजीत दिपत है लिलारी |
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी जय जय.... ||
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी |
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी जय जय.... ||
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी |
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी जय जय.... ||